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गोवर्धन पूजा और भैया दूज का शुभ मुहूर्त, जानें कैसे करें तैयारी

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नई दिल्लीः रोशनी का पर्व दीपावली हिंदू धर्म के खास त्योहारों में से एक है। दीपावली का उत्सव 5 दिनों तक चलता है जो धनतेरस से शुरू होकर नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा व भाई दूज पर समाप्त होता है। मान्यता है कि भगवान श्री राम, रावण का वध करके इस दिन अयोध्या लौटे थे। उनके आने की खुशी में प्रजा ने दीपावाली मनाई। इस बार दीपावली का त्योहार 04 नवंबर को मनाया जाएगा। जबकि गोवर्धन पूजा व भाईदूज क्रमशा 5 और 6 नवंबर को मनाया जाएगा। तो आइए जानते हैं महापर्व दीपावली के अंत में पड़ने वाले गोवर्धन पूजा और भाईदूज के शुभ मुहूर्त के बारे में।

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गोवर्धन पूजा

दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा का पावन पर्व मनाया जाता है। इस साल गोवर्धन पूजा का पर्व 05 नवंबर 2021 को पड़ेगा। कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 5 नवंबर रात 11 बजकर 14 मिनट तक रहेगी।
भाई दूज का शुभ मुहूर्त

गोवर्धन पूजा के अगले दिन भैयादूज का पर्व मनाया जाता है। इस साल भाई और बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाने वाला यह पावन पर्व 06 नवंबर 2021 को मनाया जाएगा। भाई दूज की पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से 3 बजकर 22 मिनट तक मुहूर्त भाइयों को टीका करने के लिए सबसे शुभ है।

ऐसे करें तैयारी

दरअसल भाईदूज को मनाने के पीछे की कुछ मान्यता है जिनका बखान पुराणों में किया गया है। माना जाता है कि भगवान सूर्य नारायण की पत्नी छाया ने यम और यमी (यमराज व यमुना) को इसी दिन जन्म दिया था। रक्षाबंधन की तरह की भाईदूज का पर्व भी हर भाई−बहन के जीवन में खास महत्व रखता है। उनके अटूट व अथाह प्रेम को प्रदर्शित करने वाला यह उत्सव कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है।

बहने भाईयों को नए वस्त्र धारण करवाकर शुभ मुहूर्त में तिलक रवाती हैं। इसके लिए सबसे पहले भाई को एक चौकी पर बिठाएं और उसके हाथों मे एक श्रीफल दें ताकि उसकी उम्र लंबी हो। इसके बाद उसके बाद भाई के माथे पर हल्दी व चावल की मदद से तिलक करें। साथ ही दूब खास की पत्तियों के साथ भाई की आरती उतारी जाती है और उसके हाथों पर कलावा बांधें और उसे मिठाई खिलाएं। वहीं भाई अपनी बहनों को उपहारस्वरूप कुछ न कुछ अवश्य भेंट करें।

ऐसे करें गोवर्धन पूजा

गोवर्धन पूजा में गोधन यानि गायों की पूजा की जाती है।हमारे शास्त्रों में गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप कहा गया है। जिस तरह देवी लक्ष्मी सुख समृद्धि प्रदान करती हैं ठीक उसी तरह गौ माता भी अपने दूध से हमें स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं। इस त्योहार में बलि पूजा, अन्न कूट, मार्गपाली जैसे उत्सव पूरे किए जाते हैं। भगवान कृष्ण के द्वापर युग में अवतार के बाद अन्नकूट (गोवर्धन) पर्वत पूजा की शुरुआत हुई थी। इसे लोग अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं।

गाय के गोबर से गोवर्धन बनाया जाता है। इस दिनआंगन को साफ किया जाता है और गोवर्धन बनाने की तैयारी की जाती है। इसके बाद इसकी पूजा होती है। आप गोवर्धन पर आंखें लगाकर मुकुट पहनाकर और गोटे और लेस से श्रृंगार कर सकते हैं। इसे सजाने के लिए आप इसके सूखने का इंतजार करें। सूखने पर आप अपनी इच्छा अनुसार सजावट कर सकती हैं। उसके बाद पूजा करें।

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