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कांग्रेस का 'हाथ' थामते ही आप पर बरसे खैहरा, केजरीवाल को बताया तानाशाह

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नई दिल्लीः पंजाब के सियासी गलियारों में बीते कई दिनों से चल रही अटकलों पर आखिरकार विराम लगाते हुए आम आदमी पार्टी (आप) के बागी नेता सुखपाल सिंह खैहरा ने गुरुवार को अपने दो विधायकों के साथ कांग्रेस का 'हाथ' थाम लिया। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी की मौजूदगी में तीनों नेताओं को कांग्रेस में शामिल करवाया। कांग्रेस में शामिल होते ही खैहरा ने आप पर जमकर सियासी निशाने साधे।

केजरीवाल को बताया तानाशाह

विधायक पीरमल सिंह और जगदेव कमालू के साथ कांग्रेस में शामिल होने के बाद मीडिया से मुखातिब होते दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को तानाशाह कहते हुए खैहरा ने कहा कि आप में शामिल होना मेरी सबसे बड़ी गलती थी। केजरीवाल कभी नहीं चाहते थे कि मुझे विपक्ष का नेता कहा जाए। उन्होंने कहा कि पंजाब में आम आदमी पार्टी का अंत तभी हो गया था जब मानहानि मामले में केजरीवाल ने अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया से माफी मांग ली थी। खैहरा ने कहा कि मैंने विपक्ष के नेता के रूप में अपनी भूमिका पूरी ईमानदारी के साथ निभाई है। इसलिए मैं अभी भी एनडीपीएस केस का सामना कर रहा हूं।

कांग्रेस की तारीफों के बांधे पुल

खैहरा ने कांग्रेस पार्टी की तारीफ करते हुए कहा, 'मैं हमेशा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और आलाकमान का आभारी रहूंगा।' उन्होंने कहा कि कांग्रेस में शामिल होने का फैसला लेने के पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि पंजाब कांग्रेस के फैसले पंजाब में ही लिए जाते हैं, जबकि पंजाब आप से जुड़े सभी फैसले केजरीवाल की अदालत में होते हैं। उन्होंने शराब के मुद्दे पर आप सांसद भगवंत मान पर भी जमकर हमला बोला।

विवादों में रहे सुखपाल खैहरा का सियासी सफर

पंजाब के पूर्व स्वर्गीय शिक्षा मंत्री सुखजिदर सिंह खैहरा के इकलोते बेटे सुखपाल सिंह खैहरा को सियासत ही नहीं, विवाद भी विरासत में मिला है। उनके स्वर्गीय पिता पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से बगावत कर मंत्री पद छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस उन्हें ज्यादा समय तक रास नही आई, लेकिन शिरोमणि अकाली दल का दामन छोड़ने के बाद वे फिर कभी भी राजनीति में वह रुतबा हासिल नहीं कर सके। पिता की तरह सुखपाल सिंह खैहरा ने भी अपना सियासी सफर कांग्रेस से शुरू किया था, लेकिन उनका यह सफर काफी उथल-पुथल भरा रहा है। 2007 में उन्होंने कपूरथला की भुलत्थ विधानसभा सीट से शिरोमणि अकाली दल की दिग्गज नेता बीबी जागीर कौर को हराकर सभी को हैरान कर दिया था।

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सुखपाल सिंह खैहरा ने 2015 में कैप्टन अमरिंदर सिंह से मनमुटाव के बाद कांग्रेस से इस्तीफा देकर आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया। पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण 2018 में उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। 25 अप्रैल 2019 को सुखपाल सिंह खैहरा ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया, लेकिन 22 अक्टूबर 2019 को उन्होंने अपना इस्तीफा यह कह कर वापस लेने का ऐलान कर दिया कि कि आम आदमी पार्टी ने उन्हें असंवैधानिक तरीके से पार्टी से निकाला था। इसके बाद खैहरा ने साल 2019 में ही पंजाब एकता पार्टी के नाम से अपनी पार्टी का गठन किया। लेकिन पार्टी को उम्मीद मुताबिक कामयाबी ना मिलते देख खैहरा ने एक बार फिर दल बदल कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया है।