जोहान्सबर्गः विश्व प्रसिद्ध दक्षिण अफ्रीकी आर्कबिशप और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता डेसमंड टूटू का 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी दक्षिण अफ्रीका के आर्कबिशप एमेरिटस डेसमंड टूटू के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि मानवीय गरिमा और समानता के लिए उनके प्रयासों को हमेशा याद किया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा कि आर्कबिशप एमेरिटस डेसमंड टूटू विश्व स्तर पर अनगिनत लोगों के लिए एक मार्गदर्शक थे। मानवीय गरिमा और समानता पर उनका जोर हमेशा याद किया जाएगा। मैं उनके निधन से बहुत दुखी हूं और उनके सभी प्रशंसकों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं। भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।
Archbishop Emeritus Desmond Tutu was a guiding light for countless people globally. His emphasis on human dignity and equality will be forever remembered. I am deeply saddened by his demise, and extend my heartfelt condolences to all his admirers. May his soul rest in peace.
— Narendra Modi (@narendramodi) December 26, 2021
रविवार को ट्वीट्स की एक सीरीज में, राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने कहा, डेसमंड टूटू का निधन दक्षिण अफ्रीका के शानदार लोगों की एक पूरी पीढ़ी के प्रति शोक का एक और अध्याय है। मुक्त दक्षिण अफ्रीका बनाने में मुख्य पादरी डेसमंड टूटू का बड़ा योगदान था। राष्ट्रपति रामफोसा ने डेसमंड टूटू को एक प्रतिष्ठित आध्यात्मिक नेता, रंगभेद विरोधी कार्याकर्ता ओर मानवाधिकार का वैश्विक प्रचारक करार दिया और कहा है कि वो देश ओर दुनिया में दक्षिण अफ्रीका की सबसे मशहूर शख्सियतों में शामिल रहे हैं। हम प्रार्थना करते हैं कि आर्कबिशप टूटू की आत्मा को शांति मिले, लेकिन उनकी आत्मा हमारे देश के भविष्य के हमेशा साथ रहेगी। आर्कबिशप टूटू अपने हंसमुख मिजाज के लिए जाने जाते थे और वह हमेशा बैंगनी रंग के कपड़े पहनते थे।
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रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें 1960 में एक पादरी के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने 1976-78 तक लेसोथो के बिशप के रूप में सेवा की। उन्होंने जोहान्सबर्ग के सहायक बिशप और सोवेटो में एक पैरिश के रेक्टर के रूप में सेवा की। वह 1985 में जोहान्सबर्ग के बिशप बने और उन्हें केप टाउन का पहला अश्वेत आर्कबिशप नियुक्त किया गया था। रंगभेद व्यवस्था को समाप्त करने के उनके प्रयासों के लिए आर्कबिशप टूटू को 1984 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। जब 1994 में नेल्सन मंडेला राष्ट्रपति बने, तो रंगभेद युग के दौरान गोरों और अश्वेतों दोनों द्वारा किए गए अपराधों की जांच के लिए गठित सत्य और सुलह आयोग में आर्कबिशप टूटू को नियुक्त किया गया था।
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