वाराणसीः सावन मास के चौथे और आखिरी सोमवार पर काशी पुराधिपति बाबा विश्वनाथ के दरबार में ‘कैलाशी काशी के वासी अविनाशी मेरी सुध लीजो’ के आतुर भाव से शिवभक्तों ने हाजिरी लगाई। शिवभक्तों ने पावन ज्योर्तिलिंग की झांकी दर्शन कर घर परिवार में सुख शान्ति, वैभव के साथ वैश्विक महामारी कोरोना से मुक्ति दिलाने के लिए अर्जी भी लगाई। इस दौरान पूरा मंदिर परिसर हर-हर महादेव, काशी विश्वनाथ शंभू के गगनभेदी जयकारे से गुंजायमान रहा। दरबार में घंट-घड़ियाल की गूंज, आस्था की अटूट जलधार, बाबा के प्रति भक्तों का अनुराग समर्पण चहुंओर नजर आया। इसके पूर्व तड़के बाबा के विग्रह को परम्परानुसार विधि विधान से पंचामृत स्नान कराया गया। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भव्य श्रृंगार कर मंगला आरती के बाद मंदिर का पट सुबह पांच बजे शिवभक्तों के लिए खुल गया। श्रद्धालु कोविड प्रोटोकाल का पालन कर रेड कार्पेट पर चलकर दरबार में दर्शन पूजन के लिए पहुंचते रहे। मंदिर परिसर को हर छह घंटे पर सेनेटाइज किया जा रहा है। आपात स्थिति के लिए चिकित्सक, एम्बुलेंस और एनडीआरएफ टीम को भी तैनात किया गया है। पेयजल से लेकर खोया पाया केंद्र, पब्लिक एड्रेस सिस्टम भी लगाया गया है।
मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील वर्मा ने बताया कि मंदिर में गर्भगृह के पहले ही बाबा काशी विश्वनाथ का दर्शन एलईडी स्क्रीन पर श्रद्धालु कर कर रहे है। सभी रास्तों पर पेयजल की व्यवस्था की गई है। स्टील की रेलिंग के बीच बिछे कारपेट से श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश कर रहे है। मंदिर में प्रवेश के लिए ए, बी, सी, डी नाम से चार गेट बनाए गए हैं। श्रद्धालुओं को गेट नंबर चार छत्ताद्वार होते हुए मंदिर चौक भेजा जा रहा है। श्रद्धालुओं को गेट-ए से प्रवेश करने के बाद गर्भगृह के पूर्वी प्रवेश द्वार पर जल चढ़ाने की व्यवस्था दी गई है। बांसफाटक से ढुंढिराज गली होकर आने वाले श्रद्धालु मंदिर परिसर के गेट-डी से प्रवेश कर रहे है। मंदिर के गर्भगृह के पश्चिमी द्वार से दर्शन व जलाभिषेक श्रद्धालु कर रहे है। सरस्वती फाटक की ओर से आने वाले श्रद्धालु गर्भगृह के दक्षिणी द्वार और वीआईपी, वीवीआईपी व सुगम दर्शन के टिकटधारी गेट-सी से प्रवेश कर गर्भगृह के उत्तरी द्वार से दर्शन पूजन कर रहे है। मंदिर परिसर और आसपास के इलाके में सुरक्षा का व्यापक प्रबंध किया गया है। पुलिस अफसर फोर्स के साथ लगातार गश्त कर रहे है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए दशाश्वमेध से गोदौलिया, बांसफाटक, चौक होते हुए मैदागिन तक का क्षेत्र 3 जोन और 8 सेक्टर में बांटा गया है। सुरक्षा व्यवस्था में पुलिस, ट्रैफिक पुलिस और पीएसी के अलावा सेंट्रल पैरामिलिट्री फोर्स के जवान डटे हुए है।
चौथे सोमवार पर ही जिले के सभी प्रमुख शिवालयों कैथी स्थित मार्कण्डेय महादेव, दारानगर स्थित महामृत्युजंय, ईश्वरगंगी जागेश्वर महादेव, रोहनिया शूलटंकेश्वर महादेव, तिलभाण्डेश्वर महादेव, गौरी केदारेश्वर महादेव, त्रिलोचन महादेव, रामेश्वर महादेव, कर्मदेश्वर महादेव, सारंगनाथ सारनाथ, गौतमेश्वर महादेव दरबार भी शिवभक्तों से पटा रहा। शिवभक्त कतारबद्ध होकर जलाभिषेक के लिए आतुर दिखे। घरों में भी लोगों ने सुख शांति के लिए रूद्राभिषेक कराया। सनातन धर्म में मान्यता है कि जो व्यक्ति सावन सोमवार पर व्रत सच्चे मन से रखता है उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार, सावन के चौथे सोमवार के दिन प्रातः 7 बजकर 47 मिनट पर श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी की तिथि का समापन हो गया। इसके बाद नवमी की तिथि आरंभ हो गई है। ऐसे में सावन के आखिरी सोमवार पर अष्टमी और नवमी की तिथि का विशेष संयोग का अवसर है। चंद्रमा वृश्चिक राशि में स्थित है। ऐसे में शिव की पूजा और रूद्राभिषेक करना बेहद शुभ है। माना जाता है कि इस समय कोई भी कार्य करने पर विजय प्राप्त होती है।
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रुद्राक्ष श्रृंगार की झांकी के लिए तैयार दरबार
सावन के चौथे सोमवार पर परंपरानुसार बाबा का रुद्राक्ष श्रृंगार करने के पूर्व पूरे दरबार को विविध सुगन्धित फूलों और अशोक की पत्तियों के साथ रूद्राक्ष से सजाया गया है। मंदिर के गर्भगृह के साथ ही पूरा परिसर शाम को रुद्राक्ष मय हो जाएगा। शाम को श्रृंगार भोग आरती से ठीक पहले रुद्राक्ष झांकी सजेगी और भक्तजन इसका विशेष दर्शन पाएंगे।
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