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एक सितम्बर को मनाई जाएगी अनंत चतुर्दशी, जानिए क्या है इसका महत्व और सही पूजा-विधि

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बेगूसराय: भारत में हर महीने अनेकता में एकता का संदेश देने वाले कोई ना कोई पर्व-त्योहार मनाए जाते रहते हैं। भगवान के विविध रूपों की पूजा-अर्चना कर लोग आत्मिक शांति पाते हैं। इसी कड़ी में भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि को अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है। इसके लिए शहर से लेकर गांव तक में विभिन्न रंगों के अनंत की बिक्री जोर-शोर से हो रही है। अनंत के दामों में करीब दोगुनी वृद्धि हुई है, बावजूद इसके लोग खरीद रहे हैं।

1 सितंबर यानी मंगलवार को पंडित गांव-गांव में प्रमुख जगहों पर लोगों को एकत्रित कर अनंत पूजा करेंगे। इस दौरान खीरा और पंचामृत के प्रसाद का विशेष महत्व है। अनंत चतुर्दशी के दिन क्षीर सागर में विराजमान भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन अनादि स्वरूप भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा कर लोग उनके प्रतीक स्वरूप अनंत सूत्र की पूजा कर धारण करते हैं। इस वर्ष अनंत चतुर्दशी एक सितम्बर मंगलवार को मनायी जाएगी।

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पंडित आशुतोष झा बताते हैं कि अनंत चतुर्दशी के दिन नित्य क्रिया से निवृत्त होने के बाद स्नान, ध्यान कर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इस व्रत में एक समय बिना नमक के भोजन करना चाहिए, अगर पूरा दिन निराहार रहे तो अति उत्तम। पूजा स्थल पर कलश स्थापना कर अष्टदल कमल की तरह बने बर्तन में कुश का अनंत भगवान बनाकर स्थापना करनी चाहिए। भगवान विष्णु की प्रतिमा भी रखी जा सकती है। भगवान विष्णु और धागा से बने 14 गांठ वाले अनंत सूत्र की पूजा के बाद उसे दाहिने हाथ की बांह पर बांधे जाने का नियम अग्नि पुराण के अनुसार पौराणिक काल से है।

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उन्होंने बताया कि धागा से बने 14 गांठ वाले अनंत सूत्र का विशेष महत्व है। भगवान विष्णु ने 14 लोक भू, भुव:, स्व:, जन, तप, सत्य, यह, तल, अतल, तलाताल, रसातल, पाताल आदि की रचना की थी और यह उसी के प्रतीक हैं। इन 14 लोकों के पालन और रक्षा के लिए भगवान श्री हरि विष्णु स्वयं 14 रूपों में प्रकट हुए थे और अनंत स्वरूप भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए अनंत फल देने वाले अनंत चतुर्दशी का व्रत मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि 14 वर्षों तक लगातार अखंड स्वरूप में अनंत चतुर्दशी का व्रत करने से साक्षात विष्णु लोक की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस दिन व्रती अगर विष्णु सहस्रनाम का पाठ करेंं तो उसकी सभी मनोकामना पूरी हो जाती है। मान-सम्मान, धन-धान्य, सुख-संपदा और संतान इत्यादि सुख की प्राप्ति होती है।