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हिंदी भाषा में मेडिकल की पढ़ाई से पूरे विश्व में भारत का डंका बजेगा: अमित शाह

Amit-Shah-Bhopal


भोपाल
: चिकित्सा क्षेत्र के लिए रविवार बड़ा दिन रहा। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने चिकित्सा शिक्षा की हिंदी भाषा की तीन पुस्तकों का विमोचन करते हुए कहा कि बच्चों की पढ़ाई-लिखाई एवं अनुसंधान मातृभाषा में होने से भारत के विद्यार्थियों का डंका पूरे विश्व में बजेगा। उन्होंने कहा, "अंग्रेजों ने 19वीं शताब्दी में वेल्थ ड्रेन किया, 21वीं शताब्दी में वे ब्रेन ड्रेन थ्योरी लेकर आए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब इस थ्योरी को ब्रेन गेन की थ्योरी में बदल रहे हैं।"

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री शाह ने मध्यप्रदेश की राजधानी के लाल परेड मैदान में आयोजित समारोह में कहा कि स्वभाषा के विकास एवं उपयोग से भारत अनुसंधान के क्षेत्र में विश्व में बहुत आगे जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैश्विक मंचों पर हिंदी में बोलते हैं। शिक्षा नीति में प्राथमिक, तकनीकी और मेडिकल एजुकेशन में हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं को प्राथमिकता दी जा रही है। शाह ने रिमोट का बटन दबाकर हिंदी भाषा में एबीबीएस प्रथम वर्ष की पुस्तकों एवं हिंदी की प्रतिस्थापना के नवीन प्रकल्प का शुभारंभ किया। उन्होंने मेडिकल बायोकेमेस्ट्री, मेडिकल फिजियोलॉजी तथा एनाटॉमी की हिंदी पुस्तकों का विमोचन किया।

उन्होंने कहा कि आज का दिन शिक्षा के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा जाएगा। हिंदी भाषा में मेडिकल शिक्षा का शुभारंभ, शिक्षा के क्षेत्र में पुनर्निर्माण का दिन है। मध्यप्रदेश में छह माह बाद इंजीनियरिंग एवं पॉलिटेक्निक की शिक्षा भी हिंदी में प्रारंभ की जाएगी। साथ ही हिंदी भाषा में अनुसंधान की व्यवस्था भी की जाएगी। केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने कहा कि बच्चे की सोचने की प्रक्रिया उसकी मातृभाषा में होती है। मातृभाषा की बात दिल तक जाती है, जबकि अन्य भाषा की बात दिमाग तक। सोचने के साथ ही संशोधन, अनुसंधान, तर्क, विश्लेषण एवं निर्णय पर पहुंचने की प्रक्रिया मातृभाषा में होती है। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई एवं अनुसंधान मातृभाषा में होने से भारत के विद्यार्थियों का डंका पूरे विश्व में बजेगा।

केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि अंग्रेजों ने 19वीं शताब्दी में वेल्थ ड्रेन किया, 21वीं शताब्दी में वे ब्रेन ड्रेन थ्योरी लेकर आए। प्रधानमंत्री मोदी अब इस थ्योरी को ब्रेन गेन की थ्योरी में बदल रहे हैं। मातृभाषा में अध्ययन, विद्यार्थियों के चिंतन, तर्क एवं अनुसंधान की क्षमता को बढ़ाएगा। अपनी भाषा में पढ़ेंगे तभी विद्यार्थी देश की सच्ची सेवा कर पाएंगे।

शाह ने कहा कि आज भारत में जेईई, एईईटी, यूजीसी की परीक्षाएं 12 भाषाओं में देने की व्यवस्था की गई है। सीयूईटी की परीक्षा 13 भाषाओं में और 10 राज्यों में इंजीनियरिंग की परीक्षा भारतीय भाषाओं में देने की सुविधा के लिए कार्य शुरू कर दिया गया है। सांकेतिक भाषा का मानकीकरण किया जा रहा है। हिंदी में पढ़ाई से विद्यार्थियों की बौद्धिक क्षमता बढ़ेगी और भाषाई लघु ग्रंथि (इन्फीरियरिटी कॉम्पलेक्स) से मुक्त होंगे। भाषा और बौद्धिक क्षमता का संबंध नहीं है। भाषा अभिव्यक्ति का साधन है। मातृभाषा में शिक्षा से बौद्धिक क्षमता निखरती है।

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केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि वर्ष 2013-14 में भारत में मेडिकल कॉलेज की संख्या 387 थी, जो आज बढ़ कर 596 हो गई है। वही मेडिकल सीट्स की संख्या 51 हजार से बढ़ कर 89 हजार हो गई है। आईटीआई 16 हजार से बढ़ कर 23 हजार, आईआईएम 13 हजार से बढ़ कर 20 हजार, ट्रिपल आईआईटी सीट नौ हजार से बढ़ कर 25 हजार और कुल विश्वविद्यालय 723 से बढ़ कर 1043 हो गए हैं।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है। मेडिकल, इंजीनियरिंग आदि विषयों की पढ़ाई हिंदी में होना शिक्षा जगत में नया प्रकाश होगा। यह अंग्रेजी की गुलामी से मुक्ति का दिन है। यह कार्य आजादी के बाद ही हो जाना था, जो अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हो रहा है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि अब डॉक्टर हिंदी में पर्चे लिख सकेंगे। वे पर्चे पर 'आरएक्स' के स्थान पर 'श्रीहरि' लिख सकते हैं। यह एक नए युग की शुरुआत है।

इससे पहले केंद्रीय गृहमंत्री विशेष विमान से भोपाल पहुंचे, स्टेट हैंगर पर उनका स्वागत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा व अन्य नेताओं और मंत्रियों ने किया। उसके बाद शाह ने वहां मौजूद कार्यकर्ताओं का अभिवादन स्वीकार किया और उसके बाद हेलीकॉप्टर से लाल परेड मैदान पहुंचे और उसके बाद ग्वालियर रवाना हुए।

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