लखनऊः प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने शुक्रवार को कहा कि तमाम बड़े-बड़े दावे करने वाली और इवेन्ट मैनेजमेन्ट के सहारे खुद की छवि बनाने की कोशिश करने वाली योगी सरकार प्रदेश के बेरोजगारों को गुमराह करने में लगी रहती है। विभिन्न विभागों में कार्यरत संविदाकर्मियों की स्थायी नियुक्ति पर सरकार को अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि लगभग चार वर्ष पूरे करने वाली योगी सरकार अपने लोक कल्याण संकल्प पत्र में किये गये 14 लाख प्रतिवर्ष रोजगार देने के वादे के अनुसार अब तक लगभग 56 लाख युवाओं को रोजगार देने के लिए कानून कब बनायेगी। शिक्षा मित्र, आंगनवाड़ी, अनुदेशक, आशा बहू, कस्तूरबा गांधी विद्यालय के शिक्षक, खेल प्रशिक्षक, रसोइयां इत्यादि के नियमतीकरण के लिए सरकार कब कानून बनायेगी। इस पर योगी सरकार को तत्काल अपना रूख स्पष्ट करना चाहिए। उन्होंने कहा कि नवम्बर माह में ही केन्द्र के वित्त मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट में सरकार ने स्वयं स्वीकार किया है कि कोरोना काल में 39 लाख संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में बेरोजगारों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जो वर्ष 2011-12 के पांच करोड़ के आंकड़े को भी पार कर गयी होगी।
अजय कुमार लल्लू ने कहा कि कोरोना काल के पहले ही बेरोजगारी अपने चरम पर थी जैसा कि प्रदेश के श्रम मंत्री ने एक प्रश्न के जवाब में सदन में लिखित जवाब दिया था कि बेरोजगारी दर 2018 के 5.92 प्रतिशत के मुकाबले वर्ष 2019 में लगभग दो गुना बढ़कर 9.97 प्रतिशत हो चुकी थी। कोरोना के बाद यह स्थिति और भी भयावह हो गयी।
यह भी पढ़ेंः-खेल मंत्री ने आईटीबीपी फिट इंडिया मिशन-200 किमी के प्रतिभागियों को किया सम्मानितप्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र तक दो वर्षों से योगी सरकार नहीं दे पा रही है। तमाम भर्तियों के परीक्षा परिणाम लम्बित हैं इनकी नियुक्तियों के लिए योगी सरकार ने कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया है। रोजगार सृजन के नये अवसर पैदा करने में पूरी तरह से नाकाम योगी सरकार ने युवाओं को गुमराह करने के लिए इन्वेस्टर्स समिट के नाम पर धोखा देने के सिवाय कुछ नहीं किया।