नई दिल्लीः केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर गंभीर है। तोमर ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के सीमित उपयोग पर बल दिया जा रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए सिंचाई के लिए "प्रति बूंद- अधिक फसल" योजना, जैविक खेती के लिए परम्परागत कृषि विकास योजना लागू की गई हैं। भारत सरकार तमाम ऐसी योजनाएं चला रही है जिससे प्रकृति का संरक्षण हो सके।
कृषि मंत्री ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र व इटली सरकार की ओर से आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन को वर्चुअली संबोधित करते हुए कहा कि देश के किसान मिट्टी के स्वास्थ्य का ध्यान रख सकें इसके लिए "मृदा स्वास्थ्य कार्ड" योजना भी प्रारंभ की गई है। इस योजना के तहत किसानों को मिट्टी परीक्षण की नि:शुल्क सेवाएं प्रदान की जाती हैं। मंत्री ने कहा कि कृषि, मौसम आधारित होती है, ऐसे में भारत सरकार किसानों की जोखिम कवर करते हुए बीमा सुरक्षा प्रदान करने के लिए देश में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना संचालित की जा रही है। अल्प व कुपोषण की समस्या के समाधन के लिए भारत, सबसे बड़ा खाद्य आधारित सुरक्षा कार्यक्रम चला रहा है, जिसमें सार्वजनिक वितरण प्रणाली व मध्याह्न भोजन योजना शामिल है। तोमर ने कहा कि कदन्न (ज्वार, बाजरा, रागी, कंगरी, कुटकी, कोदो, सांवा, चेना) पौष्टिकता से परिपूर्ण है। इसके गुणों को देखते हुए कदन्नों को वैश्विक स्तर पर केंद्र में लाने के लिए भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र में वर्ष 2023 को "अंतरराष्ट्रीय कदन्न वर्ष" के रूप में मनाने का प्रस्ताव रखा था। जिसे संयुक्त राष्ट्र ने सदस्य देशों के भारी समर्थन के साथ स्वीकार करते हुए वर्ष 2023 को "अंतरराष्ट्रीय कदन्न वर्ष" के रूप में घोषित किया है।
यह भी पढ़ेंः-ममता ने सोनिया गांधी से की मुलाकात, बोली- अब पूरे देश में ‘खेला होगा’उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय कृषि मंत्री तोमर ने आज सम्मेलन में पंद्रह सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। कोविड-19 महामारी को देखते हुए पूर्व-शिखर सम्मेलन का आयोजन हाइब्रिड मोड में किया गया। भारतीय प्रतिनिधिमंडल में तोमर के अलावा कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे, नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद, अतिरिक्त सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी, इटली में भारत की राजदूत डॉ. नीना मल्होत्रा और कृषि, ग्रामीण विकास, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, मत्स्य पालन, कृषि अनुसंधान और शिक्षा, खाद्य और सार्वजनिक वितरण और शिक्षा मंत्रालय के अधिकारी शामिल थे। तीन दिवसीय इस सम्मेलन को संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुतेरस, इटली के प्रधानमंत्री मारियो ड्रैगी व विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने भी संबोधित किया।