
आदित्य-एल1 को 2 सितंबर को कक्षा में हुआ था स्थापित
आपको बता दें कि भारत की अंतरिक्ष-आधारित सौर वेधशाला, आदित्य-एल1 को 2 सितंबर को ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान-एक्सएल (PSLV-XL) संस्करण नामक एक भारतीय रॉकेट द्वारा लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) में कक्षा में स्थापित किया गया था। तब से इसरो द्वारा अंतरिक्ष यान की कक्षा दो बार बढ़ाई जा चुकी है। जैसे ही अंतरिक्ष यान लैग्रेंज बिंदु (L1) की ओर यात्रा करेगा, यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र (SOI) से बाहर निकल जाएगा। लैग्रेंज बिंदु एल-1 की ओर स्थानांतरण कक्षा में प्रवेश करने से पहले आदित्य एल1 को दो और कक्षीय प्रक्रियाओं से गुजरना होगा। यह उपग्रह लगभग 127 दिनों के बाद एल-1 बिंदु पर वांछित कक्षा में पहुंचने की संभावना है।एसओआई से बाहर निकलने के बाद, क्रूज़ चरण शुरू हो जाएगा और बाद में अंतरिक्ष यान को L1 के चारों ओर एक बड़ी प्रभामंडल कक्षा में इंजेक्ट किया जाएगा - वह बिंदु जहां दो विशाल पिंडों - सूर्य और पृथ्वी - का गुरुत्वाकर्षण खिंचाव बराबर होगा और इसलिए अंतरिक्ष यान किसी भी ग्रह की ओर गुरुत्वाकर्षण नहीं करेगा। प्रक्षेपण से एल1 तक की कुल यात्रा में Aditya L को करीब चार माह लगेंगे। पृथ्वी से दूरी करीब 1.5 मिलियन किलोमीटर होगी। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)Aditya-L1 Mission: ?Onlooker! Aditya-L1, destined for the Sun-Earth L1 point, takes a selfie and images of the Earth and the Moon.#AdityaL1 pic.twitter.com/54KxrfYSwy
— ISRO (@isro) September 7, 2023