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370 हटाने के लिए चीन की ओर निहार रहे फारूख अब्दुल्ला

National Conference (NC) President Farooq Abdulla talks to his son and party's Vice-President

नई दिल्लीः फारूक अब्दुल्ला को चीन के प्रति हमदर्दी महंगी पड़ रही है। काफी दिनों बाद बोले तो इतना कड़वा बोल गए कि पूरा देश उनके खिलाफ हो गया है। अब्दुल्ला को एक देश एक नागरिकता पसंद नहीं आ रही है। उनको जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाया जाना बहुत खल रहा है, इसलिए वह चीन की ओर निहार रहे हैं। फारुख अब्दुल्ला यह भूल रहे हैं कि चीन भारत का दुश्मन देश है जबकि वह भारतीय नागरिक हैं।

फारूख अब्दुल्ला के इस बयान पर भाजपा ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने हमला बोलते हुए कहा कि फारूक अब्दुल्ला अपने इंटरव्यू में चीन की विस्तारवादी मानसिकता को न्यायोचित बता रहे हैं। वह एक देशद्रोही कमेंट करते हैं कि भविष्य में हमें अगर मौका मिला तो हम चीन के साथ मिलकर अनुच्छेद-370 वापस लाएंगे।

इसका मतलब है कि उनके मन में बड़ी पीड़ा है और उसे सुनने वाला कोई नहीं है। इसलिए वह दुश्मन देश से मिलकर उसे अपनी पीड़ा बताएंगे। संबित पात्रा ने राहुल गांधी और फारूक अब्दुल्ला को एक जैसा ही बताया है। कहा कि फारूक चीन की मानसिकता को सही ठहरा रहे हैं। उन्होंने पहले भी कई बार इस तरह के बयान दिए हैं।

उन्होंने याद दिलाया कि फारूक अब्दुल्ला ने भारत के लिए कहा था कि पीओके क्या तुम्हारे बाप का है, जो तुम पीओके ले लोगे, क्या पाकिस्तान ने चूड़ियां पहनी हैं। यह बात किसी भारतीय को रास नहीं आ रही है। वह कभी पाक के हमदर्द बन जाते हैं तो कभी चीन के। पाकिस्तान और चीन के प्रति नरमी और धारा 370 के प्रति नफरत पर सवाल उठने स्वाभाविक हैं।

24 सितंबर को फारूक अब्दुल्ला ने कहा था कि आप अगर जम्मू कश्मीर में जाकर लोगों से पूछेंगे कि क्या वह भारतीय हैं, तो लोग कहेंगे कि हम भारतीय नहीं हैं। उसी स्टेटमेंट में ही उन्होंने ये भी कहा था कि अच्छा होगा अगर हम चीन के साथ मिल जाएं। भाजपा ने इन्हीं बातों पर पूर्व मुख्यमंत्री को घेरते हुए कहा कि देश की संप्रभुता पर प्रश्न उठाना, देश की स्वतंत्रता पर प्रश्नचिह्न लगाना क्या एक सांसद को शोभा देता है ? क्या ये देश विरोधी बातें नहीं हैं ?

टीवी चैनल में दिया था इंटरव्यू

पिछले दिनों फारूक अब्दुल्ला ने एक टीवी चैनल से बातचीत के दौरान कहा था कि एलएसी पर जो भी तनाव के हालात बने हैं, उसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है। कारण है कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को खत्म किया था। चीन ने कभी भी अनुच्छेद-370 खत्म करने के फैसले का समर्थन नहीं किया है और हमें उम्मीद है कि इसे (आर्टिकल 370) फिर से चीन की ही मदद से बहाल कराया जा सकेगा।

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370 हटाने का फैसला स्वीकार नहीं

वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव की जो भी स्थितियां बनी हैं, फारूख उसके लिए 370 खत्म करने के फैसले को जिम्मेदार बता रहे हैं। उनका कहना है कि चीन ने कभी इस फैसले को स्वीकार ही नहीं किया है। वह कहते हैं कि हम यह उम्मीद करते हैं कि चीन की ही मदद से जम्मू-कश्मीर में फिर आर्टिकल-370 को बहाल किया जा सकेगा। 5 अगस्त 2019 को 370 को हटाने का जो फैसला लिया गया, उसे कभी स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

चीन की तरफदारी करने के सवाल पर फारूक अब्दुल्ला ने कहा, मैंने कभी चीनी राष्ट्रपति को भारत नहीं बुलाया था। पीएम नरेंद्र मोदी ही उन्हें भारत आमंत्रित करने वाले शख्स थे। उन्होंने चीनी राष्ट्रपति को झूला झुलाया और चेन्नई में उन्हें खाना खिलाने भी ले गए थे। फारूक ने कहा कि उन्हें सांसद होने के बावजूद संसद सत्र के दौरान जम्मू-कश्मीर की समस्याओं पर बोलने का मौका नहीं दिया गया था।